आधुनिक बाबाओं की वास्तविक झलक (एक हास्य नाटक)
(निर्बल दरबार लगा हुआ है निर्बल बाबा अपने भक्तों के साथ अपने आसन पर विराजमान हैं सभी भक्तों एक साथ मिलकर जयकारा लगाते हैं) निर्बल बाबा की जय! निर्बल बाबा की जय! निर्बल बाबा की जय...!
बाबा: निर्बल दरबार में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है।
प्रथम भक्त: बाबा के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम! बाबा जी मैं चंडीगढ़ से आई हूं। बाबा जी मुझे बहुत प्रॉब्लम है। बाबा जी मैं बहुत गरीब हूं। घर में खाने को अनाज का दाना नहीं है। बाबा जी कोई उपाय बताएं बाबा जी!(रोने लगती है )
बाबा: आप सबसे पहले यह बताएं कि अनाज को आप किस में रखती हैं?
भक्त: बाबाजी! बाबाजी! .... टीन के बने डिब्बे में।
बाबा: तभी कृपा नहीं आ रही है। आप अनाज को मिट्टी के बर्तन में रखो कृपा बरसेगी।
द्वितीय भक्त: बाबा जी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम !
बाबा जी मैं बाकी नगर से आया हूं। मैं बहुत परेशान हूं। बाबा जी मैं किसी भी काम के लिए जाता हूं तो वह काम नहीं होता। बाबा जी कृपा करो।
बाबा: आप यह बोले कि आप जब घर से निकलते हो तो अपने किस पॉकेट में रुमाल रखते हो?
भक्त: बाबा जी! मैं तो ... बाबा जी! मैं रुमाल अपने दाएं तरफ के पॉकेट में रखता हूं।
बाबा: मूर्ख ! तभी तो कृपा अटकी हुई है। अब जब भी घर से निकलना रुमाल बाई ओर के पाकेट में ही रखकर निकलना कृपा बरसेगी।
भक्त: जी बाबा जी ।
तृतीय भक्त: बाबा जी के चरणों में मेरा प्रणाम! बाबा जी, मेरा बेटा 15 साल का है। बाबा जी, वह बहुत पढ़ता है। बाबा जी, पर बाबा जी, कभी कक्षा 8 पास नहीं कर पाया। बाबा जी, मैं बहुत परेशान हूं। बाबा जी!
बाबा: आपने जलेबी कब खाईं थीं - लास्ट टाइम?
भक्त: बाबा जी, वही करीब 2 साल पहले खाई थी।
बाबा: तभी कृपा नहीं आ रही। एक काम करो बाबूलाल हलवाई के यहां से प्रतिदिन आधा किलो जलेबी मंगाकर खाया करो। कृपा बरसेगी।
चतुर्थ भक्त: बाबाजी के चरणों में मैनू कोटि कोटि प्रणाम है जी! मैनू पंजाब से आई हूं। बाबाजी! आप के बारे में मैनू खूब सुना है जी। बाबाजी आप बड़े भोले हो जी! दयालु हो जी! मैनु एक समस्या है जी! मेरा एक हवाई जहाज बनाने का बिजनेस है जी। उसमें घाटा लग गया है जी। कोई उपाय बताओ जी।
बाबा: आप किस कलर की पर्स रखती हो?
भक्त: काली।
बाबा: ओ...हो...!
तभी तो आप सफेद रंग की बैग रखा करो जरूर फायदा होगा।
पंचम भक्त: बाबा जी! वेरी-वेरी प्रणाम!बाबा जी प्रणाम मोर एंड मोर। आई एम फ्रॉम अमेरिका आई हैव ऑलरेडी हियर्ड अबाउट यू। यू आर मोस्ट पावरफुल पर्सन ऑन द अर्थ। आई हैव कम फर्स्ट टाइम इन इंडिया। बाबा जी आई हैव अ प्रॉब्लम। आई एम वेरी सैड। माय डॉटर हैज बीन सुफरिंग फ्रॉम फीवर सिंस 2002.
प्लीज! हेल्प मी।
बाबा: आपने उसका इलाज कहां कराया?
भक्त: बाबाजी! इन लंदन।
बाबा: तभी तो कृपा नहीं पहुंच पा रही। आप उसे भारत ले आए और किसी भी झोलाछाप डॉक्टर को दिखाएं। झोलाछाप समझती है ना....।
भक्तः नो! बाबा जी।
बाबा: ठीक है, अभी बाद में हमारे सेवादार से पूछ लेना बता देगा आप पे कृपा बरसेगी।
अच्छा और कोई भक्त जिसे अपने जीवन में समस्याओं के चलते सुखी जीवन नहीं मिल रहा हो प्रश्न पूछ सकता है। इसके अलावा हमारी वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू निर्मल बाबा डॉट कॉम पर लॉग इन कर सकते हैं।
कोई भक्त हमें अगर दान देना चाहता है तो कृपया हमारे अकाउंट में 10,000 से लेकर ₹100000 तक जमा कर सकता है।
धन्यवाद!
(पर्दा गिरता है।)
Nirbal Baba |
(निर्बल दरबार लगा हुआ है निर्बल बाबा अपने भक्तों के साथ अपने आसन पर विराजमान हैं सभी भक्तों एक साथ मिलकर जयकारा लगाते हैं) निर्बल बाबा की जय! निर्बल बाबा की जय! निर्बल बाबा की जय...!
बाबा: निर्बल दरबार में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है।
प्रथम भक्त: बाबा के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम! बाबा जी मैं चंडीगढ़ से आई हूं। बाबा जी मुझे बहुत प्रॉब्लम है। बाबा जी मैं बहुत गरीब हूं। घर में खाने को अनाज का दाना नहीं है। बाबा जी कोई उपाय बताएं बाबा जी!(रोने लगती है )
बाबा: आप सबसे पहले यह बताएं कि अनाज को आप किस में रखती हैं?
भक्त: बाबाजी! बाबाजी! .... टीन के बने डिब्बे में।
बाबा: तभी कृपा नहीं आ रही है। आप अनाज को मिट्टी के बर्तन में रखो कृपा बरसेगी।
द्वितीय भक्त: बाबा जी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम !
बाबा जी मैं बाकी नगर से आया हूं। मैं बहुत परेशान हूं। बाबा जी मैं किसी भी काम के लिए जाता हूं तो वह काम नहीं होता। बाबा जी कृपा करो।
बाबा: आप यह बोले कि आप जब घर से निकलते हो तो अपने किस पॉकेट में रुमाल रखते हो?
भक्त: बाबा जी! मैं तो ... बाबा जी! मैं रुमाल अपने दाएं तरफ के पॉकेट में रखता हूं।
बाबा: मूर्ख ! तभी तो कृपा अटकी हुई है। अब जब भी घर से निकलना रुमाल बाई ओर के पाकेट में ही रखकर निकलना कृपा बरसेगी।
भक्त: जी बाबा जी ।
तृतीय भक्त: बाबा जी के चरणों में मेरा प्रणाम! बाबा जी, मेरा बेटा 15 साल का है। बाबा जी, वह बहुत पढ़ता है। बाबा जी, पर बाबा जी, कभी कक्षा 8 पास नहीं कर पाया। बाबा जी, मैं बहुत परेशान हूं। बाबा जी!
बाबा: आपने जलेबी कब खाईं थीं - लास्ट टाइम?
भक्त: बाबा जी, वही करीब 2 साल पहले खाई थी।
बाबा: तभी कृपा नहीं आ रही। एक काम करो बाबूलाल हलवाई के यहां से प्रतिदिन आधा किलो जलेबी मंगाकर खाया करो। कृपा बरसेगी।
Baba and bhakt |
चतुर्थ भक्त: बाबाजी के चरणों में मैनू कोटि कोटि प्रणाम है जी! मैनू पंजाब से आई हूं। बाबाजी! आप के बारे में मैनू खूब सुना है जी। बाबाजी आप बड़े भोले हो जी! दयालु हो जी! मैनु एक समस्या है जी! मेरा एक हवाई जहाज बनाने का बिजनेस है जी। उसमें घाटा लग गया है जी। कोई उपाय बताओ जी।
बाबा: आप किस कलर की पर्स रखती हो?
भक्त: काली।
बाबा: ओ...हो...!
तभी तो आप सफेद रंग की बैग रखा करो जरूर फायदा होगा।
पंचम भक्त: बाबा जी! वेरी-वेरी प्रणाम!बाबा जी प्रणाम मोर एंड मोर। आई एम फ्रॉम अमेरिका आई हैव ऑलरेडी हियर्ड अबाउट यू। यू आर मोस्ट पावरफुल पर्सन ऑन द अर्थ। आई हैव कम फर्स्ट टाइम इन इंडिया। बाबा जी आई हैव अ प्रॉब्लम। आई एम वेरी सैड। माय डॉटर हैज बीन सुफरिंग फ्रॉम फीवर सिंस 2002.
प्लीज! हेल्प मी।
Baba and bhakt |
बाबा: आपने उसका इलाज कहां कराया?
भक्त: बाबाजी! इन लंदन।
बाबा: तभी तो कृपा नहीं पहुंच पा रही। आप उसे भारत ले आए और किसी भी झोलाछाप डॉक्टर को दिखाएं। झोलाछाप समझती है ना....।
भक्तः नो! बाबा जी।
बाबा: ठीक है, अभी बाद में हमारे सेवादार से पूछ लेना बता देगा आप पे कृपा बरसेगी।
अच्छा और कोई भक्त जिसे अपने जीवन में समस्याओं के चलते सुखी जीवन नहीं मिल रहा हो प्रश्न पूछ सकता है। इसके अलावा हमारी वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू निर्मल बाबा डॉट कॉम पर लॉग इन कर सकते हैं।
कोई भक्त हमें अगर दान देना चाहता है तो कृपया हमारे अकाउंट में 10,000 से लेकर ₹100000 तक जमा कर सकता है।
धन्यवाद!
(पर्दा गिरता है।)
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