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मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

Basic Computer Notes in hindi

कंप्यूटर का परिचय (Introduction to Computers in Hindi)



🛈 कंप्‍यूटर क्‍या है - What is Computer?


कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के "Compute" शब्द से बना है, जिसका अर्थ है "गणना", करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है, इसका अविष्‍कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्‍तु आजकल इसका use डाक्‍यूमेन्‍ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्‍थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है




Computer केवल वह काम करता है जो हम उसे करने का कहते हैं यानी केवल वह उन Command को फॉलो करता है जो पहले से computer के अन्‍दर डाले गये होते हैं, उसके अन्‍दर सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है, computer को जो व्‍यक्ति चलाता है उसे यूजर कहते हैं, और जो व्‍यक्ति Computer के लिये Program बनाता है उसे Programmer कहा जाता है।


कंप्‍यूटर को ठीक प्रकार से कार्य करने के लिये सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की आवश्‍यकता होती है। अगर सीधी भाषा में कहा जाये तो यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बिना हार्डवेयर सॉफ्टवेयर बेकार है और बिना सॉफ्टवेयर हार्डवेयर बेकार है। मतलब कंप्‍यूटर सॉफ्टवेयर से हार्डवेयर कमांड दी जाती है किसी हार्डवेयर को कैसे कार्य करना है उसकी जानकारी सॉफ्टवेयर के अन्दर पहले से ही डाली गयी होती है। कंप्यूटर के सीपीयू से कई प्रकार के हार्डवेयर जुडे रहते हैं, इन सब के बीच तालमेल बनाकर कंप्यूटर को ठीक प्रकार से चलाने का काम करता है सिस्टम सॉफ्टवेयर यानि ऑपरेटिंग सिस्टम।

कम्प्यूटर का जनक कौन है ?


कम्प्यूटर का जनक चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) को कहा जाता है,  चार्ल्स बैबेज जन्म लंदन में हुआ था। कंप्यूटर शब्द के लिए यानी एक ऐसी मशीन के लिए जो गणना करती है उसके लिए लैटिन भाषा के शब्द कंप्यूट (Comput)  को लिया गया ।


कंप्यूटर का फुल फॉर्म हिंदी में (Full form of computer in Hindi)


सी - आम तौर पर

ओ - संचालित

एम - मशीन

पी- विशेष रूप से

यू- प्रयुक्त

टी - तकनीकी

ई - शैक्षणिक

आर - अनुसंधान

कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसका प्रयोग आमतौर पर तकनीकी और शैक्षणिक अनुसंधान के लिए किया जाता है।

कंप्यूटर की फुल फॉर्म इंग्लिश में (Full form of computer in english)






=> Commonly Operating Machine Particularly Use forTechnical and Educational Research.


C - Commonly

O - Operating

M - Machine

P- Particularly

U- Use

T - Technical

E - Educational

R - Research


Computer का इतिहास 


    मानव के लिए गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है। मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना या केलकुलेशन कर सकता है। ज्यादा बडी कैलकुलेशन करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया।
 तो चलिए जानते हैं कि सबसे पहले इसकी सुरुआत कैसे और कहाँ से हुई -



अबेकस - पहला गणना यंत्र :

Computer

अबेकस का निर्माण लगभग 5000 वर्ष पूर्व चीन के लोगों ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथो पर ही निर्भर था।

एंटीकाईथेरा तंत्र - 2000 वर्ष पूर्व :



Antikythera असल में एक खगोलीय कैलकुलेटर था जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान में सौर और चंद्र ग्रहणों को ट्रैक करने के लिए किया जाता था, एंटीकाईथेरा यंञ लगभग 2000 साल पुराना है, वैज्ञानिको को यह यंञ 1901 में एंटीकाइथेरा द्वीप पर पूरी तरह से नष्‍ट हो चुके जहाज से जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में प्राप्‍त हुआ था, इसी कारण इसका नाम एंटीकाईथेरा सिस्‍टम पडा तभी से वैज्ञानिक इसे डिकोड करने में लगे थे और लंबे अध्ययन के बाद अब इस कंप्यूटर को डिकोड कर लिया गया है। यह मशीन ग्रहों के साथ ही आकाश में सूर्य और चांद की स्थिति दिखाने का काम करती है। एंटीकाईथेरा तंत्र ने आधुनिक युग का पहला ज्ञात एनलोग कंप्यूटर होने का श्रेय प्राप्त कर लिया, यूनानी ने एंटीकाईथेरा सिस्टम को खगोलीय और गणितीय आकड़ो का सही अनुमान लगाने के लिए विकसित किया गया था।

पास्‍कलाइन (Pascaline) - सन् 1642:
अबेकस के बाद निर्माण हुआ पास्‍कलाइन का। इसे गणित के विशेषज्ञ ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 में बनाया यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था। ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। इसे मशीन को एंडिंग मशीन (Adding Machine) कहा जाता था।
 Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline भी कहते हैं।

डिफरेंज इंजन (Difference Engine) - सन् 1822:


Ice ACADEMY

डिफरेंस इंजन सर चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया ऐसा यंत्र था जो सटीक तरीके से गणनायें कर सकता था।  इसका आविष्कार सन 1822 में किया गया था, इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए के पंच कार्ड का इस्‍तेमाल किया जाता था। यह भाप से चलता था, इसके आधार ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं। इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहते हैँ।

जुसे जेड - 3 - सन् 1941 :

महान वैज्ञानिक "कोनार्ड जुसे" नें "Zuse-Z3" नमक एक अदभुत यंत्र का आविष्कार किया जो कि द्वि-आधारी अंकगणित की गणनाओ (Binary Arithmetic) को एवं चल बिन्दु अंकगणित गणनाओ (Floating point Arithmetic) पर आधारित सर्वप्रथम Electronic Computer था।


अनिएक - सन् 1946 :

Computer


अमेरिका की एक Military Research room ने "ENIAC" मशीन जिसका अर्थ  (Electronic Numerical Integrator And Computer)  का निर्माण किया। "ENIAC"  दशमलव अंकगणितीय प्रणाली (Decimal Arithmetic system ) पर कार्य करता था, बाद मेें  "ENIAC"  सर्वप्रथम कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्ध हुई जो कि आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के रूप में विकसित हुई।

मैनचेस्टर स्‍माल स्‍केल मशीन (SSEM) - सन् 1948 


(SSEM) पहला ऐसा कंंम्‍यूटर था जो किसी भी प्राेग्राम को वैक्यूम ट्यूब (Vacume Tube) में सुरक्षित रख सकता था, इसका निक नेम Baby रखा गया था, इसे बनाया था फ्रेडरिक विलियम्स और टॉम किलबर्न ने।



Computer मूलत दो भागों में बॅटा होता है-

1. सॉफ्टवेयर

2. हार्डवेयर


ICE

साफ्टवेयर:
   किसी सूचना अथवा सूचनाओं अथवा निर्देश या निर्देशों के समूह को कंप्यूटर की भाषा में सॉफ्टवेयर कहा जाता है जिसमें कंप्यूटर से कराए जाने वाले कार्यों के बारे में कमांड और विभिन्न प्रकार की सूचनाएं भरी रहती हैं।

सॉफ्टवेयर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं- सिस्टम सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर तथा यूटिलिटी सॉफ्टवेयर।


 आइए जानते हैं सिस्टम सॉफ्टवेयर के बारे में ।

सिस्टम सॉफ्टवेयर :

सिस्टम सॉफ्टवेयर वह सॉफ्टवेयर होते हैं जो कंप्यूटर को ऑन -ऑफ करने अथवा उसकी बेसिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक होते हैं। सिस्टम सॉफ्टवेयर के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के सेट अप आते हैं जैसे एमएस पेंट, नोटपैड आदि सिस्टम सॉफ्टवेयर होते हैं ।

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर :
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर वह सॉफ्टवेयर होते हैं जिनको हम कंप्यूटर में अपनी आवश्यकतानुसार इंस्टॉल करते हैं और कार्य कर सकते हैं। जैसे एमएस ऑफिस, फोटोशॉप, टैली, कोरल ड्रा , कैड,ऑटोकैड या अन्य कोई सॉफ्टवेयर जिनसे किसी विशेष कार्य को किया जा सकता है, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के उदाहरण हैं।

 यूटिलिटी सॉफ्टवेयर :

यूटिलिटी सॉफ्टवेयर जैसे ड्राइवर (टूल) जो कंप्यूटर और कंप्यूटर से जुड़े अन्य उपकरणों के बीच तालमेल बनाते हैं, जैसे फोटोशॉप पर फोटो बनाने के बाद जब हम उसे प्रिंट देना चाहते हैं तो प्रिंटर की आवश्यकता होती है और प्रिंटर को कमांड देने के लिए यह सॉफ्टवेयर का यूज़ कंप्यूटर करता है वह यूटिलिटी सॉफ्टवेयर होता है। दूसरे शब्दों में कहें कि जब हम अपने लैपटॉप को इंटरनेट से जुड़ना चाहते हैं तो मोबाइल के हॉटस्पॉट को ऑन कर दें कंप्यूटर के वाईफाई नेटवर्क ऑन करते हैं। कंप्यूटर के वाईफाई नेटवर्क से मोबाइल को कनेक्ट करने वाला सॉफ्टवेयर यूटिलिटी सॉफ्टवेयर कहलाता है।

हार्डवेयर: Hardware: 

कंप्यूटर का वह भाग जिसे हम छू सकते हैं देख सकते हैं उठा सकते हैं यह सब हार्डवेयर के अंतर्गत आते हैं जैसे कंप्यूटर का मॉनिटर, माउस, कीबोर्ड , यूपीएस , कैमरा लाइट पेन, जॉयस्टिक, स्कैनर, प्रिंटर आदि। यह सब एक प्रकार के हार्डवेयर हैं जिनसे मिलकर हमारा कंप्यूटर बना होता है।



कंप्यूटर के भागों का नाम – Computer parts Name in Hindi ✔


प्रोसेसर – Micro Processor.

मदर बोर्ड – Mother Board.

मेमोरी – Memory.

हार्ड डिस्क – Hard Disk Drive.

मॉडेम – Modem.

साउंड कार्ड – Sound Card.

मॉनिटर – Monitor.

की-बोर्ड माउस – Keyboard/Mouse.

प्रिंटर - Printer

स्कैनर - Scanner

कम्प्यूटर: Computer :-



यह इनपुट के माध्यम से डेटा या निर्देशों को स्वीकार करता है, यह डेटा संग्रहीत करता है, यह उपयोगकर्ता द्वारा आवश्यक डेटा संसाधित कर सकता है, यह आउटपुट के रूप में परिणाम देता है, और यह एक कंप्यूटर के अंदर सभी ऑपरेशन को नियंत्रित करता है। हम इनमें से प्रत्येक कंप्यूटर ऑपरेशन के नीचे चर्चा करते हैं।
     

कंप्यूटर के विभिन्न घटक -

1. इनपुट: 

       यह कंप्यूटर सिस्टम में डेटा और प्रोग्राम दर्ज करने की प्रक्रिया है। आपको पता होना चाहिए कि कंप्यूटर किसी भी अन्य मशीन की तरह एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो कच्चे डेटा के इनपुट के रूप में लेता है और संसाधित डेटा देने वाले कुछ प्रसंस्करण करता है। इसलिए, इनपुट यूनिट प्रोसेसिंग के लिए संगठित तरीके से कंप्यूटर से डेटा हमारे पास ले जाती है।

2. संग्रहण: 


स्थायी रूप से डेटा और निर्देशों को सहेजने की प्रक्रिया को भंडारण के रूप में जाना जाता है। वास्तविक प्रोसेसिंग शुरू होने से पहले डेटा को सिस्टम में फीड किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) की प्रोसेसिंग स्पीड इतनी तेज होती है कि सीपीयू को उसी स्पीड से डेटा देना पड़ता है। इसलिए डेटा को सबसे पहले एक्सेस और प्रोसेसिंग के लिए स्टोरेज यूनिट में स्टोर किया जाता है। यह स्टोरेज यूनिट या कंप्यूटर सिस्टम का प्राथमिक स्टोरेज उपरोक्त कार्यक्षमता को करने के लिए बनाया गया है। यह डेटा और निर्देशों को संग्रहीत करने के लिए स्थान प्रदान करता है। भंडारण इकाई निम्नलिखित प्रमुख कार्य करती है: प्रसंस्करण से पहले और बाद में सभी डेटा और निर्देश यहां संग्रहीत हैं। 

प्रसंस्करण के मध्यवर्ती परिणाम भी यहां संग्रहीत हैं। 

3. प्रसंस्करण:



   अंकगणित और तार्किक संचालन जैसे संचालन करने के कार्य को प्रसंस्करण कहा जाता है। सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) स्टोरेज यूनिट से डेटा और निर्देश लेता है और दिए गए निर्देशों और दिए गए डेटा के प्रकार के आधार पर सभी प्रकार की गणना करता है। फिर इसे स्टोरेज यूनिट में वापस भेज दिया जाता है। 

4. आउटपुट:



 यह उपयोगी जानकारी प्राप्त करने के लिए डेटा से परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया है। इसी प्रकार प्रसंस्करण के बाद कंप्यूटर द्वारा उत्पादित आउटपुट को भी मानव पठनीय रूप में आपको दिए जाने से पहले कंप्यूटर के अंदर कहीं रखा जाना चाहिए। आगे की प्रोसेसिंग के लिए फिर से आउटपुट को कंप्यूटर के अंदर भी स्टोर किया जाता है। 

5. नियंत्रण:



 निर्देशों को कैसे निष्पादित किया जाता है और उपरोक्त संचालन किया जाता है। नियंत्रण इकाई द्वारा इनपुट, प्रसंस्करण और आउटपुट जैसे सभी कार्यों को नियंत्रित किया जाता है। यह कंप्यूटर के अंदर सभी ऑपरेशंस की स्टेप बाय स्टेप प्रोसेसिंग का ख्याल रखता है।

Functional Unit:

     पिछले अनुभाग में वर्णित कार्यों को करने के लिए कंप्यूटर अपनी विभिन्न कार्यात्मक इकाइयों के बीच कार्य आवंटित करता है। इसके संचालन के लिए कंप्यूटर सिस्टम को तीन अलग-अलग इकाइयों में विभाजित किया गया है। वो हैं-



Arithmetic Logical Unit
अंकगणितीय तार्किक इकाई (ALU) लॉजिकल यूनिट:

इनपुट डिवाइस के माध्यम से डेटा दर्ज करने के बाद इसे प्राथमिक स्टोरेज यूनिट में स्टोर किया जाता है। डेटा और निर्देश का वास्तविक प्रसंस्करण अरिथमेटिक लॉजिकल यूनिट द्वारा किया जाता है। ALU द्वारा किए गए प्रमुख संचालन इसके अतिरिक्त, घटाव, गुणा, भाग, तर्क और तुलना हैं। आवश्यकता पड़ने पर डेटा को स्टोरेज यूनिट से ALU में स्थानांतरित कर दिया जाता है। प्रसंस्करण के बाद आउटपुट को आगे की प्रक्रिया के लिए भंडारण इकाई में वापस लौटा दिया जाता है या संग्रहीत किया जाता है। 

Control Unit
नियंत्रण इकाई (CU) :

कंप्यूटर का अगला घटक नियंत्रण इकाई है, जो पर्यवेक्षक की तरह कार्य करता है, यह देखते हुए कि चीजें उचित तरीके से की जाती हैं। कंट्रोल यूनिट समय संकेत का उपयोग करते हुए विभिन्न कार्यों के समन्वय के लिए जिम्मेदार है। नियंत्रण इकाई उस क्रम को निर्धारित करती है जिसमें कंप्यूटर प्रोग्राम और निर्देश निष्पादित होते हैं। मुख्य मेमोरी में संग्रहीत कार्यक्रमों के प्रसंस्करण, निर्देशों की व्याख्या और उन्हें निष्पादित करने के लिए कंप्यूटर की अन्य इकाइयों के लिए सिग्नल जारी करने जैसी चीजें। यह एक स्विच बोर्ड ऑपरेटर के रूप में भी काम करता है जब कई उपयोगकर्ता एक साथ कंप्यूटर का उपयोग करते हैं। इस प्रकार यह कंप्यूटर के परिधीय उपकरणों की गतिविधियों का समन्वय करता है क्योंकि वे इनपुट और आउटपुट का प्रदर्शन करते हैं।

कम्प्यूटर के भाग

कम्प्यूटर के दो भाग होते हैं-

• हार्डवेयर
• साफ्टवेयर 

1. हार्डवेयर (Hardware): 



       कम्प्यूटर के वह भाग जिनको हम छू सकते हैं, देख सकते हैं। हार्डवेयर (Hardware) कहलाते हैं। हार्डवेयर दो प्रकार के होते हैं-
इनपुट उपकरण (Input Device)

• आउटपुट उपकरण (Output Device)

1. Input Device : 



       ऐसे उपकरण जिनके माध्यम से हम कम्प्यूटर को निर्देश देते हैं, input Device कहलाते हैं-
• Keyboard 
• Mouse
• CPU (processing Device)
• Light pen
• Scanner 
• Joistic 

1. Keyword: 



 keyboard सामान्यतः दो प्रकार का होता है- साधारण की बोर्ड और मल्टीमीडिया की बोर्ड। साधारण कीबोर्ड में 104 बटन होते हैं जबकि मल्टीमीडिया कीबोर्ड में 105 से 121 बटन तक हो सकती हैं।

2. Mouse: 



      Mouse सामान्यतः एक चूहे के जैसा दिखने वाला प्वाइंटिग डिवाइस है, जिसे एक समतल स्थान पर रखकर इधर-उधर खिसकने से मानीटर की स्क्रीन पर घूमा जा सकता है अर्थात स्क्रीन पर दिखाए गए विकल्पों पर आसानी से पहुँच जा सकता है। आजकल आप्टिकल माउस का चलन है जिसमें नीचे की ओर एक लाइट लगी होती है।
3. CPU: cpu को कम्प्यूटर का दिमाग कहते हैं। यही सभी प्रकार की प्रोसेसिंग पूरी करता है। और कम्प्यूटर से कार्य करवाता है।

4. Light pen: 



यह भी एक प्रकार का पॉइंट इन डिवाइस है यह इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से कंप्यूटर की स्क्रीन पर मनचाही जगह पर घूमा जा सकता है और किसी भी कार्य को किया जा सकता है।

5. Scanner: 



यह एक ऐसा उपकरण है जिसके माध्यम से हार्ड कॉपी अर्थात कागज पर बने हुए किसी चित्र अथवा लिखे हुए लेख को कंप्यूटर के अंदर तक भेजा अर्थात पहुंचाया जाता है।

6. Joistic: 



यह भी एक इनपुट उपकरण है इसकी सहायता से कंप्यूटर पर गेम खेलते समय अपने रोबोट को अथवा अपने प्लेयर को दाएं बाएं ऊपर नीचे घुमाया जा सकता है कंट्रोल किया जा सकता है।

आउटपुट उपकरण:

ऐसे उपकरण जिनके माध्यम से कंप्यूटर हमें उत्तर बताता है अथवा रिजल्ट देता है। उन्हें हम आउटपुट उपकरण कहते हैं। जैसे मानीटर, स्पीकर, प्रिंटर आदि।

1. Monitor: 



मानीटर एक टेलीविजन की भांति दिखने वाला उपकरण है। जिसके माध्यम से कंप्यूटर हमें उत्तर बताता है अर्थात सही उत्तर को स्क्रीन पर दिखाता है। यह मुख्य आउटपुट उपकरण होता है। इसकी सहायता से ही सभी कार्य कंप्यूटर पर किए जा सकते हैं। बिना इसके किसी भी कार्य को करना संभव नहीं होगा। यह मुख्य उपकरणों में गिना जाता है।

2. Speaker: 



यह एक आउटपुट उपकरण है जिसके माध्यम से कंप्यूटर में निर्देश देता है अर्थात उत्तर बताता है उदाहरण के लिए यदि हमें किसी प्रकार का कोई म्यूजिक सुनना है तो कंप्यूटर हमें म्यूजिक सुनाने के लिए स्पीकर का प्रयोग करेगा।

3. Printer: 


प्रिंटर एक ऐसा उपकरण होता है जिसके माध्यम से कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखाई देने वाला रिजल्ट हार्ड कॉपी में प्राप्त किया जा सकता है। अर्थात प्रिंटर सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी में परिवर्तित करता है।












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